Article 370: यामी गौतम की फिल्म ने दर्शकों को मंगल दी

यामी गौतम की नई फिल्म ‘आर्टिकल 370’ ने सिनेमाघरों में धमाल मचा दिया है। इस फिल्म की कहानी कश्मीर की धारा 370 के मुद्दे पर आधारित है और इसके पहले ही दिन उसने बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचा दिया। फिल्म ‘आर्टिकल 370’ की रिलीज से पहले ही इसने काफी चर्चाएं किए थे। यह नहीं केवल कश्मीर के मुद्दे पर आधारित है बल्कि उसमें आतंकवाद के खिलाफ जंग को भी दिखाया गया है।

फिल्म के पहले दिन बॉक्स ऑफिस कलेक्शन में ‘आर्टिकल 370’ ने कमाई की है 5 करोड़ रुपये। यह काफी बड़ी संख्या है और इससे यह साबित होता है कि दर्शकों का इस फिल्म के प्रति दर्शकों की उत्सुकता है। फिल्म में यामी गौतम ने एक बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वह इंटेलिजेंस ऑफिसर का किरदार निभाती हैं और आतंकियों के खिलाफ जंग में अपना योगदान देती हैं।

फिल्म ‘आर्टिकल 370’ के पहले दिन की कमाई 5 करोड़ रुपये है, लेकिन यह अभी अनुमानित आंकड़े हैं। इसका खास पहलू यह है कि इसने ‘द कश्मीर फाइल्स’ के पहले दिन के बॉक्स ऑफिस कलेक्शन का रिकॉर्ड तोड़ा है, जो 3.55 करोड़ रुपये की कमाई की थी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ‘आर्टिकल 370’ का कुल बजट 20 करोड़ रुपये के आसपास है। इस प्रकार, यामी गौतम की इस फिल्म को हिट होने के लिए अपने बजट का दोगुना कमाना होगा।

फिल्म में यामी गौतम के साथ प्रियामणि, किरण करमरकर, और अरुण गोविल भी महत्वपूर्ण भूमिकाओं में हैं। ‘आर्टिकल 370’ की रिस्पॉन्स देखते हुए लगता है कि यह फिल्म अपने अनुमानित बजट का दोगुना कमाएगी और हिट होने की दिशा में अग्रसर है। फिल्म के रिलीज होते ही ‘आर्टिकल 370’ ने बॉक्स ऑफिस कलेक्शन के रिकॉर्ड को तोड़ डाला है और दर्शकों के दिलों में जगह बना ली है। फिल्म में यामी गौतम के साथ-साथ प्रियामणि, किरण करमरकर, और अरुण गोविल जैसे अभिनेता भी ब्रिलियंट प्रदर्शन करते हैं। उनकी अदाकारी और फिल्म के विशेष इंट्रिग के कारण फिल्म ने दर्शकों को अपनी ओर खींच लिया है।

इसके अलावा, ‘आर्टिकल 370’ की साफ-सुथरी निर्देशन और गहराई से लिखी गई कहानी ने फिल्म को और भी रोचक बनाया है। दर्शकों के बीच इसे एक सफल फिल्म के रूप में माना जा रहा है और आने वाले दिनों में इसका बॉक्स ऑफिस कलेक्शन और भी बढ़ेगा।

आइये जानते है Article 370 के बारे में, क्यो है चर्चा में ?

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने के फैसले को बरकरार रखा है, जो कि देश भर में चर्चा का विषय बना है। इस निर्णय के पीछे कई महत्वपूर्ण बातें छुपी हैं। सुप्रीम कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने इस फैसले का समर्थन किया, जिससे जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म किया गया है। इस निर्णय के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर में बहुत जल्द चुनावों का आयोजन किया जाना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने बताया कि राज्य के अंतरिम स्थिति में, अनुच्छेद 370 एक आपातकालीन प्रावधान था, जिसे हटा दिया जाना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रपति शासन के दौरान लिए गए केंद्र सरकार के फैसलों का समर्थन किया जाना चाहिए।

फैसले के बाद याचिकाकर्ताओं ने विरोध प्रकट किया, जहाँ उन्होंने कहा कि राज्य की तरफ से ऐसा महत्वपूर्ण निर्णय नहीं लिया जा सकता। मोदी सरकार ने साल 2019 में जम्मू-कश्मीर के अनुच्छेद 370 को हटा दिया था, जिससे राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बाट दिया गया था।

इसके साथ ही, जस्टिस चंद्रचूड़ ने बताया कि भारतीय संविधान के अनुसार जम्मू-कश्मीर के पास आंतरिक स्वायत्ता का अधिकार नहीं है। इस फैसले की संविधानिक वैधता को सुप्रीम कोर्ट में भी मान्यता दी गई है।

इस निर्णय से सारे देश को एक समान रूप से जम्मू-कश्मीर के विकास की दिशा में आगे बढ़ने का मौका मिलेगा। यह निर्णय देश के एकता और एकत्रितता के प्रतीक के रूप में भी देखा जा सकता है। अब जम्मू-कश्मीर का विकास और सुधार हर किसी के लिए उपलब्ध होगा।

 

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक निर्णय जम्मू-कश्मीर के Article 370 के मुद्दे पर हुआ है और इसमें कई महत्वपूर्ण पहलु हैं। यहां हम इस निर्णय के कुछ महत्वपूर्ण पॉइंट्स को समझेंगे:

  1. राष्ट्रपति के अधिकार: मुख्य न्यायाधीश के अनुसार, राष्ट्रपति के पास अनुच्छेद 370 को हटाने का अधिकार है। यह फैसला बड़ी साहसिकता के साथ लिया गया है।
  2. संविधानिक प्रावधान: सुप्रीम कोर्ट ने यह भी दिखाया कि अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करने का अधिकार राष्ट्रपति को है। इससे साफ होता है कि भारतीय संविधान के प्रावधान जम्मू-कश्मीर पर लागू हो सकते हैं।
  3. अस्थायी प्रावधान: सुप्रीम कोर्ट ने उजागर किया कि अनुच्छेद 370 एक अस्थायी व्यवस्था थी, जिसे लेकर समय-समय पर उत्तराधिकारियों के बीच विवाद होता रहता है।
  4. चुनाव का निर्देश: सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया है कि जम्मू-कश्मीर में सितंबर 2024 तक चुनाव कराएं। इससे लोगों को नए और प्रतिभाशाली नेताओं का चयन करने का मौका मिलेगा।
  5. याचिकाकर्ताओं की मांग: इस मामले में विभिन्न याचिकाकर्ताओं ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने की मांग की थी।
  6. जस्टिस चंद्रचूड़ की राय: मुख्य न्यायाधीश ने इस निर्णय को लेकर अपने विचार व्यक्त किए और साबित किया कि यह निर्णय देश के हित में है।

सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय देश में बड़ी चर्चा का विषय बना है और यह दिखाता है कि भारत की न्यायिक प्रक्रिया निष्पक्ष और संवेदनशील है। इसके बाद जम्मू-कश्मीर में नई ऊर्जा और उत्थान की दिशा में कदम बढ़ाने की उम्मीद है।

Article 370 क्या था ?

अनुच्छेद 370, भारतीय संविधान का एक महत्वपूर्ण प्रावधान था, जिसका समापन हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने किया। इस प्रावधान के माध्यम से जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान किया जाता था, जिससे यहाँ की राजनीतिक, सांस्कृतिक और आर्थिक विशेषताएँ अन्य राज्यों से अलग थीं। यह प्रावधान भारतीय संविधान की उपयोगिता को राज्य के अंदर सीमित कर देता था।

संविधान के अनुच्छेद-1 के अलावा, जिसमें भारत को राज्यों का एक संघ माना गया है, अन्य अनुच्छेद जम्मू और कश्मीर पर लागू नहीं होता था, बल्कि यहाँ की स्थिति अन्य राज्यों से थोड़ी अलग थी। जम्मू-कश्मीर का अपना अलग संविधान था, जिसमें इस राज्य की विशेषताओं को ध्यान में रखा गया था। अनुच्छेद 370 में राष्ट्रपति को इसे संशोधित करने की ताक़त थी, लेकिन इसके लिए राज्य सरकार की सहमति अनिवार्य थी। इस प्रावधान में भी यह उल्लेख था कि भारतीय संसद को केवल विशेष मामलों, रक्षा और संचार से संबंधित कानून बनाने की शक्ति है।

इस प्रावधान के अनुसार, संविधान के संशोधन में राष्ट्रपति को जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा की सहमति की आवश्यकता थी। जम्मू और कश्मीर की संविधान सभा का गठन 1951 में हुआ था, जिसमें उस समय 75 सदस्य थे। इस संविधान सभा ने जम्मू-कश्मीर के लिए एक विशेष संविधान का मसौदा तैयार किया था। अगस्त 2019 में राष्ट्रपति ने अनुच्छेद 370 को समाप्त कर दिया, जिससे इस प्रावधान का अंत हो गया। इसके बाद जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटा गया और जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त हो गया। इस निर्णय के बाद, जम्मू-कश्मीर में लॉकडाउन और सुरक्षा बढ़ गई, लेकिन इससे भारत की एकता और संविधानिक सुरक्षा में बड़ी उन्नति हुई।

चार साल पहले, यानी 2019 के 5 अगस्त को

भारतीय राष्ट्रपति ने एक ऐतिहासिक आदेश जारी किया। इस आदेश के जरिए संविधान में महत्वपूर्ण संशोधन किया गया, जिसके द्वारा अनुच्छेद 370 को समाप्त किया गया। इस संशोधन में यह तय किया गया कि राज्य की संविधान सभा के संदर्भ में राज्य की विधानसभा का ही उपयोग होगा। साथ ही, इसके अनुसार राज्य की सरकार राज्यपाल के समकक्ष होगी।

यहाँ यह अहम है कि जब यह संशोधन पारित हुआ, तो जम्मू और कश्मीर में पहले से ही दिसंबर 2018 से राष्ट्रपति शासन चल रहा था। जून 2018 में, भाजपा ने पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की सरकार से समर्थन वापस ले लिया था, जिसके बाद राज्य 6 महीने तक राज्यपाल शासन के अधीन रहा।

सामान्य परिस्थितियों में, ऐसे संशोधन के लिए राष्ट्रपति को राज्य विधानमंडल की सहमति की आवश्यकता होती है, लेकिन राष्ट्रपति शासन के कारण यह संभव नहीं था। इस आदेश ने राष्ट्रपति और केंद्र सरकार को अनुच्छेद 370 में जिस भी तरीक़े से सही लगे संशोधन करने की ताक़त दी। अगले दिन, राष्ट्रपति ने एक और आदेश जारी किया, जिसमें कहा गया कि भारतीय संविधान के सभी प्रावधान अब जम्मू-कश्मीर पर लागू होंगे, जिससे इस क्षेत्र को विशेष दर्जा समाप्त हो गया। 9 अगस्त को, संसद ने एक क़ानून पारित किया, जिसके अनुसार जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किया गया। जम्मू-कश्मीर में विधानसभा होगी, लेकिन लद्दाख में नहीं।

इस आदेश के बाद, जम्मू-कश्मीर में लॉकडाउन और सुरक्षा के बढ़ने के साथ-साथ, राजनीतिक दलों के नेताओं समेत हज़ारों लोगों को हिरासत में लिया गया और सुरक्षा बलों की ताकत को भी बढ़ावा दिया गया। अगस्त 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को पाँच जजों की बेंच के पास भेज दिया था, और अदालत ने इस मामले की अंतिम दलीलें सुननी शुरू कीं।